- 1922 : महात्मा गांधी जी द्वारा बिना "संविधान सभा" यह नाम ले संविधान सभा कि मांग किया था
- 1934: मानवेन्द्रनाथ राॅय द्वारा संविधान की मांग
- डिसेंबर 1934 : कांग्रेस द्वारा संविधान सभा की मांग
- 1940 : अगस्त ऑफर
- मे 1946 : कॅबिनेट मिशनरी प्लान
- 6 दिसंबर 1946: संविधान सभा का गठन।
- 9 दिसंबर 1946 : पहली बैठक संविधान भवन (अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष ) में आयोजित की गई , अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त - सच्चिदानंद सिन्हा ।
- 11 दिसंबर 1946 : अध्यक्ष नियुक्त - राजेंद्र प्रसाद
- उपाध्यक्ष जो विभाजन के बाद घटकर 299 रह गए । 389 में से - 292 सरकार-प्रांत से थे, 4 प्रमुख से थे। आयुक्त प्रांत और 93 राजसी राज्यों से)
- १३ दिसंबर १ ९ ४६: जवाहरलाल नेहरू द्वारा एक संकल्प ’प्रस्तुत किया गया था । जो बाद में संविधान की प्रस्तावना बन गया।
- 22 जनवरी 1947 : उद्देश्य प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया गया।
- 22 जुलाई 1947 : राष्ट्रीय ध्वज अपनाया गया।
- 15 अगस्त 1947 : स्वतंत्रता प्राप्त की।
- 29 अगस्त 1947: मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ बी आर अम्बेडकर के साथ के रूप में समिति के 7 सदस्यों चुनें गयें
- 16 जुलाई 1948 : हरेंद्र कोमार मुखर्जी के साथ वी। टी। कृष्णमाचारी को संविधान सभा के दूसरे उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया।
- 26 नवंबर 1949: ' भारत का संविधान' विधानसभा द्वारा पारित और अपनाया गया।
- 24 जनवरी 1950: संविधान सभा की अंतिम बैठक। 'भारत का संविधान' सभी ने हस्ताक्षर किए और स्वीकार किए गए। (395 लेखों के साथ, 8 अनुसूचियां, 22 भाग)
- 26 जनवरी 1950: ' भारत का संविधान ' लागू हुआ। (इसे 2 साल, 11 महीने, 18 दिन - 64 लाख के कुल खर्च पर समाप्त करने के लिए लिया गया)
वेद, प्राचीन भारत के पवित्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। वेद, विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं।वेदों को अपौरुषेय (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो, यानि ईश्वर कृत) माना जाता है। यह ज्ञान विराटपुरुष से वा कारणब्रह्म से श्रुति परम्परा के माध्यम से सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी ने प्राप्त किया माना जाता है। यह भी मान्यता है कि परमात्मा ने सबसे पहले चार महर्षियों जिनके अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा नाम थे के आत्माओं में क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान दिया, उन महर्षियों ने फिर यह ज्ञान ब्रह्मा को दिया। इन्हें श्रुति भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ ज्ञान'। अन्य आर्य ग्रंथों को स्मृति कहते हैं, यानि वेदज्ञ मनुष्यों की वेदानुगत बुद्धि...
Comments
Post a Comment