भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरम्भ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है,प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं।
भारत नाम की उत्पति का संबंध प्राचीन भारत के चक्रवर्ती सम्राट राजा मनु के वंशज भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत से है। श्रीमद् भागवत एवं जैन ग्रंथों में उनके जीवन एवं अन्य जन्मों का वर्णन आता है।
ऋषभदेव स्वयंभू मनु से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वयंभू मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। राजा और ऋषि ऋषभनाथ के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली।
बाहुबली को वैराग्य प्राप्त हुआ तो ऋषभ ने भरत को चक्रवर्ती सम्राट बनाया। भरत को वैराग्य हुआ तो वो अपने बड़े पुत्र को राजपाट सौंपकर जंगल चले गए।
राम के छोटे भाई भरत राजा दशरथ के दूसरे पुत्र थे। उनकी माता कैकयी थी। उनके अन्य भाई थे लक्ष्मण और शत्रुघ्न। परंपरा के अनुसार राम को गद्दी पर विराजमान होना था लेकिन उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला। इस दौरान भरत ने राजगद्दी संभाली और उन्होंने राज्य का विस्तार किया। कहते हैं उन्हीं के कारण इस देश का नाम भारत पड़ा।
पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की गणना 'महाभारत' में वर्णित सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ 'अभिज्ञान शाकुंतलम' के एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष का नामकरण हुआ।
मरुद्गणों की कृपा से ही भरत को भारद्वाज नामक पुत्र मिला। भारतद्वाज महान ऋषि थे। चक्रवर्ती राजा भरत के चरित का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में भी है।
हालांकि ज्यादातर विद्वान मानते हैं कि ऋषभनाथ के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर ही भारत का नामकरण हुआ।
हिमालय के पश्चिम में सिंधु नदी बहती है और एक बहुत बड़ा भू-भाग इससे घिरा है। इस भू-भाग को सिंधु घाटी कहते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता बहुत प्रसिद्ध हुई है। मध्ययुग में जब तुर्किस्तान से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग देश में आये तो सर्वप्रथम उन्होंने सिंधु घाटी में प्रवेश किया। यहां के निवासियों को उन्होंने हिन्दू नाम दिया, जो सिंधु का ही एक अपभ्रंश है। हिन्दुओं के देश को उन्होंने हिन्दुस्तान के नाम से जाना और प्रचलित किया।
सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस वैली भी कहा जाता था। सिंधु घाटी की सभ्यता रोम की सभ्यता की तरह प्रसिद्ध थी और पूरे देश में फैली हुई थी। इंडस वैली के कारण ही देश का नाम इंडिया पड़ा।
इंडिया नाम प्रचलित होने का एक अन्य कारण और भी है। जब अंग्रेज देश में आये तो उन्हें हिन्दुस्तान अथवा हिन्द का उच्चरण करने में कठिनाई हुई। इसका हल भी उन्होंने खोज लिया। उन्हें मालूम चला कि सिंधु घाटी का नाम इंडस वैली भी है। अत: उन्होंने हमारे देश को इंडिया नाम दिया और देश पूरे विश्व में इंडिया के नाम से प्रसिद्ध हो गया। एक अन्य मत के अनुसार जब अलेक्जैंडर भारत आया तो उसने अंग्रेजी में HINDU से जो बाद में INDIA (इंडिया) बन गया
स्रोत
प्राचीन भारत का इतिहास समान्यत विद्वान भारतीय इतिहास को एक संपन्न पर अर्धलिखित इतिहास बताते हैं पर भारतीय इतिहास के कई स्रोत है। सिंधु घाटी की लिपि, अशोक के शिलालेख, हेरोडोटस, फ़ा हियान, ह्वेन सांग, संगम साहित्य, मार्कोपोलो, संस्कृत लेखकों आदि से प्राचीन भारत का इतिहास प्राप्त होता है। मध्यकाल में अल-बेरुनी और उसके बाद दिल्ली सल्तनत के राजाओं की जीवनी भी महत्वपूर्ण है। बाबरनामा, आईन-ए-अकबरी आदि जीवनियाँ हमें उत्तर मध्यकाल के बारे में बताती हैं।
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